BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA SECRETS

baglamukhi shabar mantra Secrets

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A temple dedicated to Bagalamukhi is situated during the Newar metropolis of Patan close to Kathmandu, Nepal, the state in which worship of tantric goddesses experienced royal patronage.

ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।



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बगलामुखी, जिसे बगला के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू देवी है जो दस महाविद्याओं में से एक के रूप में प्रतिष्ठित है। बगलामुखी की पूजा करने से भक्तों का भ्रम और गलतफहमी दूर होती है। यह उनके जीवन को स्पष्ट नजरिया देते हैं। बगलामुखी वह देवी हैं, जो अपने उपासकों की समस्याओं को दूर करने के लिए गदा धारण करती हैं।

वास्तव में शाबर-मंत्र अंचलीय-भाषाओं से सम्बद्ध होते हैं, जिनका उद्गम सिद्ध उपासकों से होता है। इन सिद्धों की साधना का प्रभाव ही उनके द्वारा कहे गए शब्दों में शक्ति जाग्रत कर देता है। इन मन्त्रों में न भाषा की शुद्धता होती है और न ही संस्कृत जैसी क्लिष्टता। बल्कि ये तो एक साधक के हृदय की भावना होती है जो उसकी अपनी अंचलीय ग्रामीण भाषा में सहज ही प्रस्फुटित होती है। इसलिए इन मन्त्रों की भाषा-शैली पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आवश्यकता है तो वह है इनका प्रभाव महसूस करने की।

“ॐ बग्लामुख्ये च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बगला प्रचोदयात्।”

माता बगलामुखी मंत्र का जाप करने के लाभ:

Baglamukhi or Bagala is a crucial deity One of the ten Mahavidyas worshipped with terrific devotion in Hinduism. The last word benefit of worshipping Baglamukhi clears the illusions and confusions with the devotees and gives them a clear path to continue in everyday life.

इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण here होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है



जातक अपनी पढ़ाई पर अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान केंद्रित करने में सफल होता है।

एक जप माला लें और इसका उपयोग आपके द्वारा कहे जा रहे मंत्रों पर ध्यान देने के लिए करें। अपने मन्त्र का जप जितनी चाहे, उतनी मालाओं में करें।

ॐ मलयाचल बगला भगवती महाक्रूरी महाकराली राजमुख बन्धनं ग्राममुख बन्धनं ग्रामपुरुष बन्धनं कालमुख बन्धनं चौरमुख बन्धनं व्याघ्रमुख बन्धनं सर्वदुष्ट ग्रह बन्धनं सर्वजन बन्धनं वशीकुरु हुं फट् स्वाहा।

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